"राधा का किरदार निभाते समय सबसे बड़ी चुनौती भाषा रही" – नेहा परदेशी


स्टार भारत पर प्रसारित हो रहे सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया के पौराणिक धारावाहिक कामधेनु गौमाता में राधा की भूमिका निभा रहीं अभिनेत्री नेहा परदेशी ने अपनी भूमिका की गहराई और तैयारी को लेकर कई खास बातें साझा की हैं। प्रेम सागर और शिव सागर द्वारा निर्मित इस शो में नेहा का किरदार दर्शकों के बीच विशेष लोकप्रियता हासिल कर रहा है।

नेहा ने स्पष्ट किया कि उनके लिए सबसे कठिन पहलू बाहरी रूपांतरण नहीं, बल्कि भाषा और उच्चारण को सही ढंग से पकड़ना था। उन्होंने कहा, "दोनों में अपनी-अपनी चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन यदि मुझे चुनना हो, तो मैं कहूंगी कि भाषा और बोली को सही ढंग से निभाना ज्यादा मुश्किल रहा। क्योंकि यह सिर्फ शब्दों की बात नहीं है—बल्कि उन शब्दों के पीछे की भावना को जीवंत करना होता है।"

पौराणिक या कालखंड पर आधारित किरदारों में संवादों का एक विशेष भावात्मक और सांस्कृतिक महत्व होता है। नेहा ने कहा, "ऐसे किरदारों में आपकी भाषा आपकी श्रद्धा, परंपरा और दिव्यता को दर्शाती है। हर संवाद को गरिमामयी, जड़ों से जुड़ा और भावनात्मक रूप से सच्चा लगना चाहिए।"

संवाद याद करना एक बात है, लेकिन उन्हें इस तरह बोलना कि वे उस युग के अनुरूप भी लगें और आज के दर्शकों से भी जुड़ें—यह एक गहरी चुनौती थी। नेहा कहती हैं, "आपको दर्शकों को यह महसूस कराना होता है कि संवाद उस समय से हैं, परंतु आज भी प्रासंगिक हैं। यह संतुलन बनाना आसान नहीं होता।"

राधा के बाह्य रूप को प्रस्तुत करना भी आसान नहीं था। भारी परिधान, आभूषण और सिर पर विशाल श्रृंगार के बावजूद भी राधा जैसी शांति और सौम्यता बनाए रखना कठिन कार्य था। "शारीरिक परिवर्तन तो फिर भी सहन हो जाता है, लेकिन मेरे लिए राधा की आत्मा उसकी भाषा में बसती है। यदि संवाद सही नहीं लगे, तो बाकी सब अधूरा लगता है," उन्होंने जोड़ा।

नेहा ने यह भी स्वीकार किया कि राधा जैसे पौराणिक पात्र को निभाते समय रील और रियल जीवन की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। "राधा कोई साधारण पात्र नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम की प्रतीक हैं। शूटिंग के दौरान मैं पूरी तरह से उनके भावों में खुद को समर्पित कर देती हूं—उनकी शांति, समर्पण और शक्ति को महसूस करती हूं। लेकिन जब कैमरा बंद होता है, तो खुद को नेहा के रूप में वापस लाना ज़रूरी होता है।" 

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