एशिया का सबसे बड़ा करोज़न कांफ्रेंस ‘कोरकॉन 2025’ जयपुर में सफलता पूर्वक संपन्न

 


जयपुर में जुटे वैश्विक विशेषज्ञ: करोज़न रोकथाम के जरिए सुरक्षा और आर्थिक दक्षता बढ़ाने की साझा पहल

उद्योग, शिक्षा और रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव: एएमपीपी ने ‘सुरक्षित, संरक्षित और सतत विश्व’ के लक्ष्य को आगे बढ़ाने पर दिया बल

जयपुर, 06 अक्टूबर 2025: एशिया का सबसे बड़ा 'करोज़न साइंस एंड इंजीनियरिंग कॉन्फ्रेंस एंड एक्सपो' कोरकॉन-2025 जयपुर में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। एसोसिएशन फॉर मैटेरियल्स प्रोटेक्शन एंड परफॉरमेंस (एएमपीपी) इंडिया चैप्टर द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में भारत और विदेशों से आए 900 से अधिक प्रतिनिधियों और 100 से अधिक प्रदर्शक कंपनियों ने भाग लिया। यह अब तक के सबसे प्रभावशाली संस्करणों में से एक रहा।

यह आयोजन करोज़न विज्ञान, सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और मटेरियल्स प्रोटेक्शन से जुड़े विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों तथा रक्षा, ऊर्जा, ऑयल एवं गैस, पेट्रोकेमिकल, नवीकरणीय ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक वैश्विक मंच पर लेकर आया ताकि क्षरण नियंत्रण और सतत विकास के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाया जा सके।

देश विदेश के प्रतिनिधियों और विज़िटर्स ने लिया भाग

इस एक्ज़ीबिशन में देश विदेश से 900 से अधिक प्रतिनिधियों और 100 प्रदर्शक कंपनियों की सक्रिय भागीदारी रही। कांफ्रेंस में टेक्निकल सेशंस, राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस, डिफेन्स वर्कशॉप और इंटरैक्टिव फोरम के माध्यम से विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों जैसे ऑयल एंड गैस, उर्वरक, रिफाइनरी, जल शोधन, न्यूक्लियर, समुद्री संरचनाएँ और इंफ्रास्ट्रक्चर संरक्षण पर विचार-विमर्श किया गया। इसके साथ अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों द्वारा क्षरण नियंत्रण तकनीकों, नई खोजों और वैश्विक प्रथाओं पर व्याख्यान और चर्चाएँ की।

एएमपीपी इंडिया चैप्टर के सेक्रेटरी दीपेन झवेरी ने इस अवसर पर कहा, ''कोरकॉन-2025 एएमपीपी की ‘सुरक्षित, संरक्षित और सतत विश्व’ की दृष्टि को आगे बढ़ाते हुए उद्योग, एकेडेमिक जगत और रक्षा क्षेत्र को एकजुट करता है ताकि तकनीकी नवाचार और क्षरण नियंत्रण के माध्यम से भारत सहित विश्वभर में मजबूत और टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो सके।''

एसोसिएशन फॉर मैटेरियल्स प्रोटेक्शन एंड परफॉरमेंस (एएमपीपी) एशिया की सबसे बड़ी संस्था है जो करोज़न कंट्रोल (क्षरण) और प्रोटेक्टिव कोटिंग्स के क्षेत्र में कार्यरत है। इसके 40,000 से अधिक सदस्य विश्वभर में सक्रिय हैं। 1992 से कार्यरत एएमपीपी इंडिया चैप्टर भारत में क्षरण नियंत्रण, जागरूकता और नवाचार को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

भारत में करोज़न की आर्थिक चुनौती

नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ करोज़न इंजिनीयर्स (एनएसीई) इंटरनेशनल की 'इम्पैक्ट' रिपोर्ट (2016) के अनुसार, विश्व स्तर पर करोज़न की लागत वैश्विक जीडीपी का लगभग 3.4 प्रतिशत (2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष) आँकी गई है। भारत में यह आंकड़ा और भी गंभीर है यहाँ जीडीपी का लगभग 4 प्रतिशत यानी 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर (₹5.5 लाख करोड़ प्रति वर्ष) क्षरण के कारण प्रभावित होता है। हालांकि, यदि प्रभावी नियंत्रण उपाय अपनाए जाएँ तो 15 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक की बचत संभव है।

कोरकॉन-2025 का महत्व:

कोरकॉन-2025 ने उद्योग जगत, अनुसंधान संस्थानों, सार्वजनिक एवं निजी संगठनों और रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच संवाद और सहयोग का एक प्रभावी मंच प्रदान किया। प्रतिभागियों को यहां नवीनतम तकनीकों, प्रोडक्ट्स और समाधानों की जानकारी मिली और वैश्विक स्तर पर नेटवर्किंग तथा साझेदारी के अवसर प्राप्त हुए। इस सम्मेलन ने भारत की पहचान को सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर और मटेरियल्स प्रोटेक्शन इनोवेशन के उभरते केंद्र के रूप में और सशक्त किया।


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