नन्हे कलाकार फेस्टिवल 2025: का भव्य उद्घाटन, पहले दिन कला संगीत और संस्कृति का संगम


स्पेशली एबल्ड बच्चों के लिए फंडरेज़िंग को समर्पित यह दो दिवसीय महोत्सव

जयपुर : गुलाबी नगरी जयपुर एक बार फिर रंगों और रचनात्मकता से सराबोर हो उठी, जब होटल क्लार्क्स आमेर में नन्हे कलाकार फेस्टिवल 2025 का भव्य उद्घाटन हुआ। अभ्युत्थानम वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय फेस्टिवल के  पहले दिन जयपुर ने कला, संगीत, लोक परंपरा और पारिवारिक मनोरंजन का एक अनूठा संगम देखा। 

इस साल फेस्टिवल का थीम ‘हम सबका फेस्टिवल’ को सार्थक करते हुए फेस्ट की शुरुआत कलरफुल पचरंगा परेड से हुई, जो केवल लोक-संस्कृति का उत्सव ही नहीं, बल्कि इन्क्लूसिविटी, विविधता और एकता का सशक्त प्रतीक बनकर पूरे आयोजन की भावना को दर्शाती नज़र आई। आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में युवा मामलात एवं खेल विभाग के शासन सचिव नीरज के पवन उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उन्होंने कहा: "नन्हे कलाकार फेस्टिवल का उद्देश्य कला और समाज को जोड़ना है। पहले दिन का उत्साह और लोगों की भागीदारी हमारे विज़न को मजबूती देती है कि कला हर उम्र के लोगों को जोड़ने का सबसे सुंदर माध्यम है।"

आयोजन के बारे में बताते हुए फेस्टिवल आयोजक और अभ्युत्थानम वेलफेयर सोसाइटी की डायरेक्टर रिद्धि चंद्रावत ने कहा: “नन्हे कलाकार फेस्टिवल सिर्फ़ एक उत्सव नहीं, बल्कि स्पेशली एबल्ड बच्चों के लिए फंड रेज़िंग की एक संवेदनशील पहल है। कला और संगीत के ज़रिए हम समाज को जोड़ते हुए उनके बेहतर भविष्य के लिए सहयोग जुटा रहे हैं।”

फेस्ट के पहले दिन मंदीप और हर्ष के बैंड कुर्जल द्वारा प्रस्तुत जेमिंग सेशन ने संगीत प्रेमियों को सुरों की दुनिया में डुबो दिया। कलाकारों की इस लाइव म्यूज़िकल जुगलबंदी ने फेस्टिवल के माहौल को जीवंत और ऊर्जा से भर दिया।

इसी कड़ी में काेगता फाउंडेशन के इनिशिएटिव ‘ग्लोबल हेल्थ हैप्पीनेस फेस्टिवल’ के सहयोग से आयोजित जयपुर की पहली बेबी रेव ने लोगों को आकर्षित किया। बच्चों की यह रेव पार्टी ‘एक्ट टू एक्शन’ संस्था द्वारा क्यूरेट की गई, जहां छोटे बच्चों से लेकर माता-पिता और दादा-दादी तक सभी ने म्यूज़िक और डांस का आनंद लिया। यह सेशन परिवारों और बच्चों के लिए फेस्टिवल का सबसे खुशहाल और रंगीन अनुभव बनकर उभरा।

फेस्ट के पहले दिन की शाम कबीर कैफे की ‘मत कर माया का अहंकार’, ‘क्या लेके आया है’ ‘दो दिन का है मेला’ गानों की सोलफुल परफॉर्मेंस ने कबीर के दोहों और आधुनिक संगीत का भावनात्मक संगम रचा। दर्शक कबीर के शब्दों और संगीत की गहराई में पूरी तरह डूबते नज़र आए।

रात को टेक्सटाइल वॉक में राजस्थान की समृद्ध टेक्सटाइल हेरिटेज को एआई और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया। पारंपरिक कला और आधुनिक सोच का यह संयोजन दर्शकों के लिए एक दृश्यात्मक अनुभव बन गया। इस फैशन वॉक के पार्टनर ‘राजस्थान फैशन फेस्ट’, स्टाइलिंग पार्टनर ‘किलर जींस’ और सैलून पार्टनर ‘स्टाइल अ क्रेज़’ रहे।

दिन का भव्य समापन हुआ देश के प्रतिष्ठित इंडियन ओशन बैंड की दमदार परफॉर्मेंस के साथ। राहुल राम ने ‘तू किसी रेल सी गुजरती है’, ‘मन कस्तूरी’ ‘बंदे’ जैसे गानों के साथ रॉक और लोक के अनूठे मेल के साथ हजारों दर्शकों को देर रात तक झूमने पर मजबूर कर दिया और पहले दिन को एक ऐतिहासिक संगीतमय याद में बदल दिया।

नन्हे कलाकार फेस्टिवल में दो दिन तक 20+ आर्ट वर्कशॉप्स, क्रिएटिव एक्टिविटीज़, 80+ फूड, आर्ट और मर्चेंडाइज़ स्टॉल्स शामिल हैं जहाँ आगंतुकों को अभूतपूर्व अनुभव मिल रहा है।

नन्हे कलाकार फेस्टिवल का पहला दिन जयपुर के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक यादगार अध्याय बन गया, जिसने आने वाले दूसरे दिन के लिए उत्साह और ऊर्जा को और भी ऊंचाई पर पहुंचा दिया।

फेस्टिवल के दूसरे दिन दर्शकों को और भी समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव मिलने जा रहा है, जिसमें दिग्पाल द्वारा राजस्थानी फोक जेमिंग, इसके बाद राहगीर की सोलफुल परफॉर्मेंस, दिन में रनमल जैन की कविता प्रस्तुति, शाम को दिग्विजय सिंह जसाना के साथ फोक रेव और ग्रैंड फिनाले में सोना मोहापात्रा का लाइव कॉन्सर्ट दर्शकों को संगीत, भावनाओं और ऊर्जा के शिखर तक ले जाएगा। साथ ही पूरे दिन चलने वाली आर्ट वर्कशॉप्स, क्रिएटिव एक्टिविटीज़ और फैमिली ज़ोन फेस्टिवल को हर उम्र के दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव में बदल देंगी।

अभ्युत्थानम वेलफेयर फाउंडेशन

अभ्युत्थानम वेलफेयर फाउंडेशन जयपुर एक पंजीकृत एनजीओ है जिसकी शुरुआत 2014 में हुई थी, यह संस्था शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय है। संस्था ने 'स्कूल भरो आंदोलन' के माध्यम से हर वर्ष लगभग 3 लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने में योगदान दिया है । कोविड-19 महामारी के दौरान इसके फूडी कैम्पेन से 80,000 से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया, वहीं 'अरण्य रोपण अभियान' के तहत मियावाकी तकनीक से 9 शहरी जंगल लगाए गए हैं |

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